अचानक ही ......
मन मृतप्रायः क्यूँ हो जाता है,
वही समा और,
वही मोसम,
पर मन के मोसम को ,
ग्रहण क्यूँ लग जाता है,
हँसती आँखों में,
उदासी कि स्याही ,
क्या ऐसे ही फैल जाती है,
कुछ तो जरुर है,
जो समज से परे है..
अचानक ही ...... मन मृतप्रायः क्यूँ हो जाता है, वही शमा और, वही मौसम, पर मन के मौसम को , ग्रहण क्यूँ लग जाता है, हँसती आँखों में, उदासी की स्याही , क्या ऐसे ही फैल जाती है, कुछ तो जरुर है, जो समझ से परे है.. Bahut khub :))
अचानक ही ......
ReplyDeleteमन मृतप्रायः क्यूँ हो जाता है,
वही शमा और,
वही मौसम,
पर मन के मौसम को ,
ग्रहण क्यूँ लग जाता है,
हँसती आँखों में,
उदासी की स्याही ,
क्या ऐसे ही फैल जाती है,
कुछ तो जरुर है,
जो समझ से परे है..
Bahut khub :))
धन्यवाद विभाजी .
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