Monday, October 8, 2012


अचानक ही ......
मन मृतप्रायः क्यूँ हो जाता है,
वही समा और,
वही मोसम,
पर मन के मोसम को ,
ग्रहण क्यूँ लग जाता है,
हँसती आँखों में,
उदासी कि स्याही ,
क्या ऐसे ही फैल जाती है,
कुछ तो जरुर है,
जो समज से परे है..
Photo: अचानक ही ......
मन मृतप्रायः क्यूँ हो जाता है,
वही समा और,
वही मोसम,
पर मन के मोसम को ,
ग्रहण क्यूँ लग जाता है,
हँसती आँखों में,
उदासी कि स्याही ,
क्या ऐसे ही फैल जाती है,
कुछ तो जरुर है,
जो समज से परे है........सुप्रभातम...अंबर

2 comments:

  1. अचानक ही ......
    मन मृतप्रायः क्यूँ हो जाता है,
    वही शमा और,
    वही मौसम,
    पर मन के मौसम को ,
    ग्रहण क्यूँ लग जाता है,
    हँसती आँखों में,
    उदासी की स्याही ,
    क्या ऐसे ही फैल जाती है,
    कुछ तो जरुर है,
    जो समझ से परे है..
    Bahut khub :))

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  2. धन्यवाद विभाजी .

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