Hindi Poems
Tuesday, October 9, 2012
जब तक न हो ,
समंदर की मर्जी,
कश्तियाँ तैर नहीं सकती,
वो चाहें तो,
किनारे पे ही,
डुबोने की है उसकी हस्ती,
और चाहे तो,
पार लगा देता है,
अदनी सी कश्ती.....
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