ऊँची चोटी पर्बत की,
मन ही मन मुस्काए,
उन्नत खुद को देखकर,
घमंड से इतराए,
नीचे दबे छोटे पत्थर ,
याद उसे तब ना आये,
मन ही मन मुस्काए,
उन्नत खुद को देखकर,
घमंड से इतराए,
नीचे दबे छोटे पत्थर ,
याद उसे तब ना आये,
एक कंकर खिसकने पर,
जब खुद जमीं पर आये,
तब जाके अपनी ऊँचाई का,
सही राज जान पाए.....सुप्रभातम..अंबर
जब खुद जमीं पर आये,
तब जाके अपनी ऊँचाई का,
सही राज जान पाए.....सुप्रभातम..अंबर
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