Tuesday, October 9, 2012


बात ऐसी तो नहीं चलती की ,
आँखें दरिया बन जाए,
मन ऐसा तो नहीं मचलता की,
जान पे बन आये,
फिर भी,
मौजे उठती हैं,
तूफ़ान लेकर आती है,
कभी न कभी ये तबाही जरुर लाएगी,
ये सोच कर दिल घबराता है.
Photo: बात ऐसी तो नहीं चलती की ,
आँखें दरिया बन जाए,
मन ऐसा तो नहीं मचलता की,
जान पे बन आये,
फिर भी,
मौजे उठती हैं,
तूफ़ान लेकर आती है,
कभी न कभी ये तबाही जरुर लाएगी,
ये सोच कर दिल घबराता है......सुप्रभातम....अंबर

बनते बिगडते घोसलों की तरह,
बिखर रहें हैं ,कुछ बेनाम रिश्ते,
चहकने की जगह चीख रहें हैं,
ये घोसलों में बसनेवाले परिंदे.


जीना है इसी पल को,
जेसा भी है,वो मेरा है,
बिता हुआ कल ,
न फिर लौटेगा,और,
आने वाले का पता नहीं,
कहीं ऐसा न हो,
की खुशियाँ मनाने के ,
इंतजारमें,
हम आज को खो बैठें,
या फिर,जब
कार खरीदी जाए,
तो ब्रेक लगाने के लिए,
पाँव ही न चले
Photo: जीना है इसी पल को,
जेसा भी है,वो मेरा है,
बिता हुआ कल ,
न फिर लौटेगा,और,
आने वाले का पता नहीं,
कहीं ऐसा न हो,
की खुशियाँ मनाने के ,
इंतजारमें,
हम आज को खो बैठें,
या फिर,जब 
कार खरीदी जाए,
तो ब्रेक लगाने के लिए,
पाँव ही न चले........सुप्रभातम....अंबर

जिंदगी बनके तेरी याद ,
आँखों से बहने लगती है,
जब पिघली हुई साँसें,
कांटे सी चुभने लगती है...
Photo: जिंदगी बनके तेरी याद ,
आँखों से बहने लगती है,
जब पिघली हुई साँसें,
कांटे सी चुभने लगती है......सुप्रभातम....अंबर

छुईमुई सी लगती थी,
बड़ी शर्मीली लगती थी,
मेरी कुछ नादाँ ख्वाहिशें,
बड़ी ही जानलेवा लगती थी,
आज ....
उन्ही ख्वाहिशों को ,
याद करते हुए,
मैं खुद ही,
छुईमुई बन जाती हूँ,
वक्त के चलते ,
इच्छाएं भी
नया रूप धर लेती है,
और इसी दायरेमें ,
सिमट कर हम भी,
जीये जाते हैं.....
Photo: छुईमुई सी लगती थी,
बड़ी शर्मीली लगती थी,
मेरी कुछ नादाँ ख्वाहिशें,
बड़ी ही जानलेवा लगती थी,
आज ....
उन्ही ख्वाहिशों को ,
याद करते हुए,
मैं खुद ही, 
छुईमुई बन जाती हूँ,
वक्त के चलते ,
इच्छाएं भी 
नया रूप धर लेती है,
और इसी दायरेमें ,
सिमट कर हम भी,
जीये जाते हैं.........सुप्रभातम...अंबर

सडकों पे गुनगुनाता पानी,
अपनी मस्तीमें बह रहा है,
कुछ इसे नजरअंदाज कर रहे हैं,
कुछ इसपे गुस्सा हो रहे हैं,
और,
कुछ लोग इसकी मस्तीमें ,
खुद को भिगो रहें हैं,
सबका अपना नजरिया है,
चाहें खुश हो ले,
चाहें गमगीन ,
इसने तो बहना है,.
Photo: सडकों पे गुनगुनाता पानी,
अपनी मस्तीमें बह रहा है,
कुछ इसे नजरअंदाज कर रहे हैं,
कुछ इसपे गुस्सा हो रहे हैं,
और,
कुछ लोग इसकी मस्तीमें ,
खुद को भिगो रहें हैं,
सबका अपना नजरिया है,
चाहें खुश हो ले,
चाहें गमगीन ,
इसने तो बहना है,......सुप्रभातम....अंबर

गुज़रती जा रही है,
लौट कर ...
कभी न आने वाले पलों में,
जिंदगी......
हाथ से निकलती जा रही है,
एक-एक पल बनकर,
अजनबी........
फिर कभी इस पल को ,
इस जीवनमें न जी पाउंगी,
यही सोच कर सहम रही है ,
बेबसी........
Photo: गुज़रती जा रही है,
लौट कर ...
कभी न आने वाले पलों में,
जिंदगी......
हाथ से निकलती जा रही है,
एक-एक पल बनकर,
अजनबी........
फिर कभी इस पल को ,
इस जीवनमें न जी पाउंगी,
यही सोच कर सहम रही है ,
बेबसी........सुप्रभातम....अंबर

पल-पल में बदलते ,
जीवन के हालात,
प्रतिक्षण ईश्वर का,
अहसास कराते हैं,
जिसे समजना ,
इंसान के बस की,
बात नहीं,
मेरे जीवन का आयोजन,
मेरा किया हुआ है,
ये मित्थ्या अभिमान,
का कोई अर्थ नहीं,
जब डोर उपर से खींचती है,
तो हमें हर हाल में ,
नाचना पडता है.........
Photo: पल-पल में बदलते ,
जीवन के हालात,
प्रतिक्षण ईश्वर का,
अहसास कराते हैं,
जिसे समजना ,
इंसान के बस की,
बात नहीं,
मेरे जीवन का आयोजन,
मेरा किया हुआ है,
ये मित्थ्या अभिमान,
का कोई अर्थ नहीं,
जब डोर उपर से खींचती है,
तो हमें हर हाल में ,
नाचना पडता है............सुप्रभातम....अंबर

सूरज को जलना है,
धरती को सहना है,
फूलों को खिलना है,
पानी को बहना है,
सबकुछ तय है,
फिर भी ............
ये तय नहीं है,
कि...
कौन किस नज़रिए से ,
इसे देखता है,
शायद उन्हें,
सूरज का सहना और,
धरती का जलना ,
लग सकता है...
Photo: सूरज को जलना है,
धरती को सहना है,
फूलों को खिलना है,
पानी को बहना है,
सबकुछ तय है,
फिर भी ............
ये तय नहीं है,
कि...
कौन किस नज़रिए से ,
इसे देखता है,
शायद उन्हें,
सूरज का सहना और,
धरती का जलना ,
लग सकता है......सुप्रभातम.....अंबर

इंसान की नियत ,
उसकी नेकी पे ,
असर कर सकती है,
पर,नेकदिल इंसान ,
की नियत बदलना,
नामुमकिन होता है
उसके विचार ही,
उसकी अंतरात्मा का,
आयना होता है........
Photo: इंसान की नियत ,
उसकी नेकी पे ,
असर कर सकती  है,
पर,नेकदिल इंसान ,
की नियत बदलना,
नामुमकिन होता है
उसके विचार ही,
उसकी अंतरात्मा का,
आयना होता है..........सुप्रभातम...अंबर

भरी-भरी बूंदों में,
एक नाम उभर आया है,
जबकि हम जानते हैं,
ये पानी का छलावा है,
बूंदों के बहने पे,
इसने भी बह जाना है,
फिर भी अपने होने का,
एहसास उसने कराना है,
जाने के लिए ही सही,
पर याद तो उसने आना है...
Photo: भरी-भरी बूंदों में,
एक नाम उभर आया है,
जबकि हम जानते हैं,
ये पानी का छलावा है,
बूंदों के बहने पे,
इसने भी बह जाना है,
फिर भी अपने होने का,
एहसास उसने कराना है,
जाने के लिए ही सही,
पर याद तो उसने आना है.......सुप्रभातम....अंबर

मन कहे तो आसमां,
मन कहे तो दरिया,
कभी चाहें वो उड़ना ,
तो कभी चाहें डूबना,
मन पतंग बन लहराए,
तो डोर कहीं अटक जाए,
और, जब डूबना चाहें ,
तो तैर कर बाहर आ जाए,
एसो मन को क्या भरोसो,
कब कहाँ से कहां भाग जाए
Photo: मन कहे तो आसमां,
मन कहे तो दरिया,
कभी चाहें वो उड़ना ,
तो कभी चाहें डूबना,
मन पतंग बन लहराए,
तो डोर कहीं अटक जाए,
और, जब डूबना चाहें ,
तो तैर कर बाहर आ जाए,
एसो मन को क्या भरोसो,
कब कहाँ से कहां भाग जाए...........सुप्रभातम...अंबर
Photo: धडकन पे कब्ज़ा किये ,
कब तक रह पाओगे,
इस बोज के मारे जब,
हम ही चले जायेंगे,
तब तुम कहां जाओगे........सुप्रभातम....अंबर

धडकन पे कब्ज़ा किये ,
कब तक रह पाओगे,
इस बोज के मारे जब,
हम ही चले जायेंगे,
तब तुम कहां जाओगे...

वादें और कसमों में फर्क होता है,
वादा करने पर,
निभाने की इच्छा जताई जाती है,
कसमें खाने पर,
निभाने के लिए जान दी जाती है,
तभी तो ....
कोई वादे से मुकर भी जाता है,
तो कोई......
वादा निभाने की भी कसम खाता हैं.
Photo: वादें और कसमों में फर्क होता है,
वादा करने पर,
निभाने की इच्छा जताई जाती है,
कसमें खाने पर,
निभाने के लिए जान दी जाती है,
तभी तो ....
कोई वादे से मुकर भी जाता है,
तो कोई......
वादा निभाने की भी कसम खाता हैं...........सुप्रभातम...अंबर

जलती हुई इस दुनिया में,
एक चाँद मेरा तू है,
जो रात की आगोश में,
मेरे सपनो को ,
लिपटा रहता है,
इसी शीतलता से,
मेरा दिन उजागर होता है
Photo: जलती हुई इस दुनिया में,
एक चाँद मेरा तू है,
जो रात की आगोश में,
मेरे सपनो को ,
लिपटा रहता है,
इसी शीतलता से,
मेरा दिन उजागर होता है........सुप्रभातम....अंबर

कल्पनाओं के रास्ते,
बड़े अजीब होते है,
न कोई ओर होता है न छोर,
पीछे धुंधला दीखता है,
आगे गहरा दरिया,
इसीलिए कल्पनाओं के घोड़े ,
अक्सर खो जाते हैं,
या...
डूब जाते हैं.......
Photo: कल्पनाओं के रास्ते,
बड़े अजीब होते है,
न कोई ओर होता है न छोर,
पीछे धुंधला दीखता है,
आगे गहरा दरिया,
इसीलिए कल्पनाओं के घोड़े ,
अक्सर खो जाते हैं,
या...
डूब जाते हैं.......सुप्रभातम...अंबर
जिंदगी खुशी से चलती रहती है,
दिलमें दुनिया के दर्द समेटे हुए,
वो खुशनसीब इंसान होते हैं,जो....
दर्द को जिंदगी की परिभाषा समजते हैं ..
Photo: जिंदगी खुशी से चलती रहती है,
दिलमें दुनिया के दर्द समेटे हुए,
वो खुशनसीब इंसान होते हैं,जो....
दर्द को जिंदगी की परिभाषा समजते हैं ......सुप्रभातम...अंबर

जब तक न हो ,
समंदर की मर्जी,
कश्तियाँ तैर नहीं सकती,
वो चाहें तो,
किनारे पे ही,
डुबोने की है उसकी हस्ती,
और चाहे तो,
पार लगा देता है,
अदनी सी कश्ती.....
Photo: जब तक न हो ,
समंदर की मर्जी,
कश्तियाँ तैर नहीं सकती,
वो चाहें तो,
किनारे पे ही,
डुबोने की है उसकी हस्ती,
और चाहे तो,
पार लगा देता है,
अदनी सी कश्ती...........सुप्रभातम...अंबर

जित का इतना जश्न न मना,
गर मैं न हारती तो जित कहां से आती,
मेरा शुक्रिया अदा कर ए दोस्त,
की मेरी हार ही तेरी जित का पैमाना है.
Photo: जित का इतना जश्न न मना,
गर मैं न हारती तो जित कहां से आती,
मेरा शुक्रिया अदा कर ए दोस्त,
की मेरी हार ही तेरी जित का पैमाना है.......सुप्रभातम...अंबर

अगर गिना जा सकता ,
तो सितारे कम पड जाते,
अगर देखा जा सकता,
तो संजयद्रष्टि भी काम न आती,
अगर सूना जा सकता,
तो चकोर हिरन भी गिनतीमें न आता,
सिर्फ.....
महसूस किया जा सकता है,
और...
सिर्फ दिलवालों का ही ये काम है,
दिल और दर्द का अफ़साना,
सबके लिए आसान नहीं.........
Photo: अगर गिना जा सकता ,
तो सितारे कम पड जाते,
अगर देखा जा सकता,
तो संजयद्रष्टि भी काम न आती,
अगर सूना जा सकता,
तो चकोर हिरन भी गिनतीमें न आता,
सिर्फ.....
महसूस किया जा सकता है,
और...
सिर्फ दिलवालों का ही ये काम है,
दिल और दर्द का अफ़साना,
सबके लिए आसान नहीं..........सुप्रभातम...अंबर

Monday, October 8, 2012


कभी कोई अनजाना सा चेहरा,
जेहन में यूँ उतर जाता है,
लाख भुलाने की कोशिश के बाद भी,
चारों ओर नजर आता है,
बरसों बाद मिलने पर ,
नाम याद नहीं आता,
फिर भी ,
वो चेहरा अपना सा लगता है,
ऐसा क्यूँ होता है,
इसीलिए क्या.....
पिछले जन्म के रिश्तों की ,
बात मानने पर दिल ,
मजबूर हो जाता है
Photo: कभी कोई अनजाना सा चेहरा,
जेहन में यूँ उतर जाता है,
लाख भुलाने की कोशिश के बाद भी,
चारों ओर नजर आता है,
बरसों बाद मिलने पर ,
नाम याद नहीं आता,
फिर भी ,
वो चेहरा अपना सा लगता है,
ऐसा क्यूँ होता है,
इसीलिए क्या.....
पिछले जन्म के रिश्तों की ,
बात मानने पर दिल ,
मजबूर हो जाता है  !!....सुप्रभातम...अंबर

मुश्किलें बढती जायेगी,
पर,
हमतुम जब तक साथ है,
हर रास्ता कटता जाएगा,
हाथों में हाथ लिए....यूँही,
हम बढते जायेंगे,
क्यूंकि,
मुश्किलों से लड़ते हुए,
जब मंजिल पायेंगे,
तब ,
बाकी का रास्ता होगा,
सरल...सुंदर और शांत,
और,
तब भी हम दोनों होंगे साथ,
तो चलो प्रिये आगे बढ़ें.....
Photo: बरकरार रखना होगा,
जूनून हमें इसी तरह,
नहीं होना है निर्बल, 
हमें किसी भी तरह,
रास्ते लंबे होते जायेंगे,
मुश्किलें बढती जायेगी,
पर,
हमतुम जब तक साथ है,
हर रास्ता कटता जाएगा,
हाथों में हाथ लिए....यूँही,
हम बढते जायेंगे,
क्यूंकि,
मुश्किलों से लड़ते हुए,
जब मंजिल पायेंगे,
तब ,
बाकी का रास्ता होगा,
सरल...सुंदर और शांत,
और,
तब भी हम दोनों होंगे साथ,
तो चलो प्रिये आगे बढ़ें............सुप्रभातम...अंबर


विचारों का बोज उठाकर ,
थक जाता है,
फिर भी...
कमबख्त ये दिमाग,
कभी...
अकेला क्यूँ नहीं रह पाता
Photo: विचारों का बोज उठाकर ,
थक जाता है,
फिर भी... 
कमबख्त ये दिमाग,
कभी... 
अकेला क्यूँ नहीं रह पाता.....सुप्रभातम...अंबर
किश्तों में मिलती है,
हर खुशी,
इतने धनवान तो नहीं,
कि,
एकसाथ ही खरीद लें,
और,
इतने कमजोर भी नहीं,
कि,
इसे खरीद ही न पायें 
Photo: किश्तों में मिलती है,
हर खुशी,
इतने धनवान तो नहीं,
कि,
एकसाथ ही खरीद लें,
और,
इतने कमजोर भी नहीं,
कि,
इसे खरीद ही न पायें ....अंबर

कंचन कि रंगत और,
कामिनी कि खुशबु ,
एकसाथ मिलाकर ,
ये भोर भयी है,
बना है मनलुभावन
और,
मदहोश ये आसमां,
निगाहें हटाने को,
मन मानता नहीं है,
साँसों में खुशबु और,
आँखों में रंग भर चुके हैं,
तरबतर दिल
खुशियाँ बटोर रहा है....
Photo: कंचन कि रंगत और,
कामिनी कि खुशबु ,
एकसाथ मिलाकर ,
ये भोर भयी है,
बना है मनलुभावन 
और,
मदहोश ये आसमां,
निगाहें हटाने को,
मन मानता नहीं है,
साँसों में खुशबु और,
आँखों में रंग भर चुके हैं,
तरबतर दिल 
खुशियाँ बटोर रहा है...........सुप्रभातम...अंबर

बहता हुआ चला जाता है,
कभी लौट के नहीं आता है,
वो नदिया का पानी है,
जो वहीँ रह जाता है,
कभीकहीं जाता नहीं है,
वो किनारा है,
फिरभी,
किनारे की पहचान ,
पानी से है,
चंचलता और स्थिरता
यही जीवन का सत्य है
Photo: बहता हुआ चला जाता है,
कभी लौट के नहीं आता है,
वो नदिया का  पानी है,
जो वहीँ रह जाता है,
कभीकहीं जाता नहीं है,
वो किनारा है,
फिरभी,
किनारे की पहचान ,
पानी से है,
चंचलता और स्थिरता 
यही जीवन का सत्य है.........सुप्रभातम...अंबर

बांसुरी से निकली रागरागिनी,
मन को बेहाल करती है,
राधा का क्या कसूर ,
अगर वो ,
पागल बन कर घुमती है,
रगरग में बसी बंसी कि लय,
हर सुख-दुःख से परे है,
बीना सुर का जीवन जैसे,
बगैर ईश्वर के मंदिर है..

Photo: बांसुरी से निकली रागरागिनी,
मन को बेहाल करती है,
राधा का क्या कसूर ,
अगर वो ,
पागल बन कर घुमती है,
रगरग में बसी बंसी कि लय,
हर सुख-दुःख से परे है,
बीना सुर का जीवन जैसे,
बगैर ईश्वर के मंदिर है.........सुप्रभातम...अंबर
चन्द्र के माथे पे दाग कहां..
यह तो बादलों की परछाई है,
अपने साथी के सीने में छुपकर,
बादलों ने ली अंगडाई है,या 
देखनेवालों की नज़रें शायद 
दाग बनकर गहराई है.....
Photo: चन्द्र के माथे पे दाग कहां..
यह तो बादलों की परछाई है,
अपने साथी के सीने में छुपकर,
बादलों ने ली अंगडाई है,या 
देखनेवालों की नज़रें शायद 
दाग बनकर गहराई है............सुप्रभातम...अंबर

मिलजाए वो टूटा पत्ता ,
तो बताऊँ उसे,
अकेला तू ही नहीं टूटा,,
यहाँ सबकुछ बिखरा हुआ है,
तेरे सूखने पे आवाज,
निकल आती है,
यहाँ बीना आवाज के,
जान सुख जाती है,
बिखरने का दर्द ,
समेटे,
हम दोनों ,
मिट्टी में ही मिलेंगे,
बस यही सच सोच कर ,
आंसुओं से टहनी को सिंचती हूँ
Photo: मिलजाए वो टूटा पत्ता ,
तो बताऊँ उसे,
अकेला तू ही नहीं टूटा,,
यहाँ सबकुछ बिखरा हुआ है,
तेरे सूखने पे आवाज,
निकल आती है,
यहाँ बीना आवाज के,
जान सुख जाती है,
बिखरने का दर्द ,
समेटे,
हम दोनों ,
मिट्टी में ही मिलेंगे,
बस यही सच सोच कर ,
आंसुओं से टहनी को सिंचती हूँ........सुप्रभातम...अंबर

निकलता हुआ धुंवा ,
खतरे का आगाज़ होता है,
फिरभी ,
जबतक ये फटता नहीं,
बस्ती वहीँ बसी रहती है,
ये जानते हुए कि,
यह तो उसका स्वभाव है,
और,
जब यह फटता है,
तब भागने कि नौबत आती है,
गुस्सैल इंसान भी ,
ज्वालामुखी समान है,
इनसे दूर रहनेसे ,
भागने कि नौबत ,
नहीं आती......
Photo: दहकते हुए ज्वालामुखी से,
निकलता हुआ धुंवा ,
खतरे का आगाज़ होता है,
फिरभी ,
जबतक ये फटता नहीं,
बस्ती वहीँ बसी रहती है,
ये जानते हुए कि,
यह तो उसका स्वभाव है,
और,
जब यह फटता है,
तब भागने कि नौबत आती है,
गुस्सैल इंसान भी ,
ज्वालामुखी समान है,
इनसे दूर रहनेसे ,
भागने कि नौबत ,
नहीं आती......सुप्रभातम...अंबर

पूछकर कौन जाता है,
जब जाना तय होता है,
इजाजत मांग भी ली,
तो क्या फर्क पडता है,
इकरार मिला या,
इनकार..........,
फुल क्या पौधों से ,
पूछकर टूटा करते हैं,
या फिर....,
सांस जिस्मको पूछकर,
निकलती है............
Photo: पूछकर कौन जाता है,
जब जाना तय होता है,
इजाजत मांग भी ली,
तो क्या फर्क पडता है,
इकरार मिला या,
इनकार..........,
फुल क्या पौधों से ,
पूछकर टूटा करते हैं,
या फिर....,
सांस जिस्मको पूछकर,
निकलती है............सुप्रभातम...अंबर

अचानक ही ......
मन मृतप्रायः क्यूँ हो जाता है,
वही समा और,
वही मोसम,
पर मन के मोसम को ,
ग्रहण क्यूँ लग जाता है,
हँसती आँखों में,
उदासी कि स्याही ,
क्या ऐसे ही फैल जाती है,
कुछ तो जरुर है,
जो समज से परे है..
Photo: अचानक ही ......
मन मृतप्रायः क्यूँ हो जाता है,
वही समा और,
वही मोसम,
पर मन के मोसम को ,
ग्रहण क्यूँ लग जाता है,
हँसती आँखों में,
उदासी कि स्याही ,
क्या ऐसे ही फैल जाती है,
कुछ तो जरुर है,
जो समज से परे है........सुप्रभातम...अंबर

Sunday, October 7, 2012


दिल और आँख का रिश्ता ,
कभी समज नहीं आया,
वो आये ,दिल धडका,
और आँखें उठ ही न पाई,
वो चले गए,दिल लडखडाया,
और,आँखें पथरा सी गई,
बेदर्द दिल अपनी ,
हरकतों से न जाने कब,
बाज़ आएगा,
अपनी तकलीफों का ,
पुलिंदा कबतक,
आँखों को पहुंचायेगा,
नादाँ ये भी नहीं सोचता,
दिल ढका हुआ है,
और,
आँखें उजागर,
अब....
कबतक कोई दुनियासे,
नजरें चराएगा.
Photo: दिल और आँख का रिश्ता ,
कभी समज नहीं आया,
वो आये ,दिल धडका,
और आँखें उठ ही न पाई,
वो चले गए,दिल लडखडाया,
और,आँखें पथरा सी गई,
बेदर्द दिल अपनी ,
हरकतों से न जाने कब,
बाज़ आएगा,
अपनी तकलीफों का ,
पुलिंदा कबतक,
आँखों को पहुंचायेगा,
नादाँ ये भी नहीं सोचता,
दिल ढका हुआ है,
और,
आँखें उजागर,
अब....
कबतक कोई दुनियासे,
नजरें चुआयेगा........सुप्रभातम...अंबर

बदलाव


बचपन कि डगर,
और,जवानी का सफर,
साथ गुजारा है,
हमने यहाँ,
अब न गुजरेंगे हम,
इस राह से कभी,
सुनी गलियों में हमारे,
कहकहे अब न गूंजेंगे कभी,
और,
तुम कहते हो ,
कुछ नहीं बदलेगा,
कैसे ......
कैसे नहीं बदलेगा,
साँस यहीं रहेगी,
और जिस्म कहीं ...


Photo: है वहीँ सबकुछ,
और रहेगा भी,
बस इतनी सी बात ,
कि हमतुम ,
साथ न होंगे फिर कभी,
ज़रा सी लगनेवाली,
ये बात,
सोचकर देखो,
बचपन कि डगर,
और,जवानी का सफर,
साथ गुजारा है,
हमने यहाँ,
अब न गुजरेंगे हम,
इस राह से कभी,
सुनी गलियों में हमारे,
कहकहे अब न गूंजेंगे कभी,
और,
तुम कहते हो ,
कुछ नहीं बदलेगा,
कैसे ......
कैसे नहीं बदलेगा,
साँस यहीं रहेगी,
और जिस्म कहीं ........सुप्रभातम..अंबर



पारदर्शक दिवार 


बारीक,नाजुक सी दिवार होती है,
श्रद्धा और अंधश्रद्धा के बीच,
जो न पार करते बनती है,
ना ही,तोडते बनती है,
जब तक इंसान जीता है,
इसी दायरेमें बंधा रहता है,
और जीवनके सही मायने,
समजने कि सोच गँवा देता है........सुप्रभातम...अंबर
Photo: बारीक,नाजुक सी दिवार होती है,
श्रद्धा और अंधश्रद्धा के बीच,
जो न पार करते बनती है,
ना ही,तोडते बनती है,
जब तक इंसान जीता है,
इसी दायरेमें बंधा रहता है,
और जीवनके सही मायने,
समजने कि सोच गँवा देता है........सुप्रभातम...अंबर


बदलाव 


मिलकर चले थे साथ हम,
और,
रास्ते तन्हा थे,
आज,
रास्ते खिले-खिले हैं,
और,
हम तनहा है................सुप्रभातं....अम्बर

ऊँची चोटी पर्बत की,
मन ही मन मुस्काए,
उन्नत खुद को देखकर,
घमंड से इतराए,
नीचे दबे छोटे पत्थर ,
याद उसे तब ना आये,

एक कंकर खिसकने पर,
जब खुद जमीं पर आये,
तब जाके अपनी ऊँचाई का,
सही राज जान पाए.....सुप्रभातम..अंबर

Photo: ऊँची चोटी पर्बत की,
मन ही मन मुस्काए,
उन्नत खुद को देखकर,
घमंड से इतराए,
नीचे दबे छोटे पत्थर ,
याद उसे तब ना आये,
एक कंकर खिसकने पर,
जब खुद जमीं पर आये,
तब जाके अपनी ऊँचाई का,
सही राज जान पाए.....सुप्रभातम..अंबर

महत्वाकांक्षी लोगों की ,
कमी नहीं इस दुनियामें,
जो रौंदने मिटाने की,
दुनिया में बसते हैं,
और सदा हमारे बारेमें,
सोचते हैं,
चलो अच्छा है,
अपने लिए,
कि....
हम
बसने बसाने की,
जिंदगी जीते हैं,
और यही सोच कर ,
खुश रहते हैं,
कि....
कोई हमारे बारे में भी सोचता है ..........सुप्रभातम...अंबर


Photo: महत्वाकांक्षी लोगों की ,
कमी नहीं इस दुनियामें,
जो रौंदने मिटाने की,
दुनिया में बसते हैं,
और सदा हमारे बारेमें,
सोचते हैं,
चलो अच्छा है,
अपने लिए,
कि....
हम 
बसने बसाने की,
जिंदगी जीते हैं,
और यही सोच कर ,
खुश रहते हैं,
कि....
कोई हमारे बारे में भी सोचता है ..........सुप्रभातम...अंबर