Hindi Poems
Saturday, March 31, 2012
ऐसा क्यूँ होता है?
ऐसा क्यूँ होता है?
चंचल मन को रोक न पाउ,
धूम फिर के फिर वही आ जाऊं,
चाहें सांस अटके,
या अखियाँ बरसे,
सोचों पर क्या रोक लगाऊं!
एक हि सूरत भूल ना पाऊं,
मन कि आँखें मुंद ना पाऊं,
जबरन हि सही,
पर हंस ना पाऊं,
ऐसा क्यूँ होता है?
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