Monday, October 8, 2012


मिलजाए वो टूटा पत्ता ,
तो बताऊँ उसे,
अकेला तू ही नहीं टूटा,,
यहाँ सबकुछ बिखरा हुआ है,
तेरे सूखने पे आवाज,
निकल आती है,
यहाँ बीना आवाज के,
जान सुख जाती है,
बिखरने का दर्द ,
समेटे,
हम दोनों ,
मिट्टी में ही मिलेंगे,
बस यही सच सोच कर ,
आंसुओं से टहनी को सिंचती हूँ
Photo: मिलजाए वो टूटा पत्ता ,
तो बताऊँ उसे,
अकेला तू ही नहीं टूटा,,
यहाँ सबकुछ बिखरा हुआ है,
तेरे सूखने पे आवाज,
निकल आती है,
यहाँ बीना आवाज के,
जान सुख जाती है,
बिखरने का दर्द ,
समेटे,
हम दोनों ,
मिट्टी में ही मिलेंगे,
बस यही सच सोच कर ,
आंसुओं से टहनी को सिंचती हूँ........सुप्रभातम...अंबर

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