Sunday, October 7, 2012

बदलाव


बचपन कि डगर,
और,जवानी का सफर,
साथ गुजारा है,
हमने यहाँ,
अब न गुजरेंगे हम,
इस राह से कभी,
सुनी गलियों में हमारे,
कहकहे अब न गूंजेंगे कभी,
और,
तुम कहते हो ,
कुछ नहीं बदलेगा,
कैसे ......
कैसे नहीं बदलेगा,
साँस यहीं रहेगी,
और जिस्म कहीं ...


Photo: है वहीँ सबकुछ,
और रहेगा भी,
बस इतनी सी बात ,
कि हमतुम ,
साथ न होंगे फिर कभी,
ज़रा सी लगनेवाली,
ये बात,
सोचकर देखो,
बचपन कि डगर,
और,जवानी का सफर,
साथ गुजारा है,
हमने यहाँ,
अब न गुजरेंगे हम,
इस राह से कभी,
सुनी गलियों में हमारे,
कहकहे अब न गूंजेंगे कभी,
और,
तुम कहते हो ,
कुछ नहीं बदलेगा,
कैसे ......
कैसे नहीं बदलेगा,
साँस यहीं रहेगी,
और जिस्म कहीं ........सुप्रभातम..अंबर

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