Hindi Poems
Sunday, October 7, 2012
बदलाव
बचपन कि डगर,
और,जवानी का सफर,
साथ गुजारा है,
हमने यहाँ,
अब न गुजरेंगे हम,
इस राह से कभी,
सुनी गलियों में हमारे,
कहकहे अब न गूंजेंगे कभी,
और,
तुम कहते हो ,
कुछ नहीं बदलेगा,
कैसे ......
कैसे नहीं बदलेगा,
साँस यहीं रहेगी,
और जिस्म कहीं ...
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