Hindi Poems
Monday, October 8, 2012
चन्द्र के माथे पे दाग कहां..
यह तो बादलों की परछाई है,
अपने साथी के सीने में छुपकर,
बादलों ने ली अंगडाई है,या
देखनेवालों की नज़रें शायद
दाग बनकर गहराई है.....
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