Saturday, November 26, 2011

मुस्कराहट

हंसके जो बोला ,तुम प्यार समज बैठे,
चुप जो रहे ,तुम इज़हार समज बैठे,
पलकें ज़ुकाली तो स्वीकार समज बैठे,
मुस्कुरा क्या दिया,दिलदार समज बैठे,
हम कुछ भी करे,तुम अपना ही समज बैठे,
अब हम भी क्या बोले,दिल हार जो बैठे.........अंबर

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