Friday, November 25, 2011

तेरा-मेरा बचपन

बरसता हुआ सावन तेरी याद दिलाए,
ऐसे मोसम में मेरा बचपन वापस आए,
कागज़ की नावोंको बनाना,डुबाना और फिर बनाना,
भीगती हुई हरी घास पे दौडना और गिर जाना,
गिरकर हंसना और हंसकर रूठना,
तेरा मुजे मनाना ,कुछ छोटे-छोटे वादे  करना,
और अगले दिन भूलजाना ,
माचिस की डिब्बी में भरी लाल चनोठी को बांटना ,
मुजे रुलाना और फिर ,
प्यारी बहना कहकर गलेसे लगाना,
क्या तुम्हे याद आते हैं वो पल???.......अंबर 

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