Hindi Poems
Friday, November 25, 2011
अपनापन
अपनों के अपनेपन का क्या कहना!
जी में आये जान लुटाए,
जी में आये जान जलाए,
कभी दिलपे खंजर भी खालें,
कभी पिठमें खंजर घुसा दे,
कभी आंसुओ को बहने से रोक ले,
कभी आंसुओं की नदिया बहाएं,
उनकी दिल्लगी का क्या कहना ,
हम भी हैं उनसे दिल लगाए......अंबर.
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