Hindi Poems
Sunday, November 20, 2011
अश्कों का समन्दर
अश्कों को बहेनेसे रोका ना करो
कहीं अंदर ही समंदर ना बन जाए,
किसी रोज अगर ये सागर फटा,
तो न जाने क्या-क्या बहा ले जाए.....अंबर
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