Saturday, February 18, 2012

फूलों कि वादियाँ


वादियोंमें तेरे साँसों की खुशबु महफूज़ है,
तभी वहाँ तो इतने सारे फुल महक रहे हैं.
फजाओं में तेरी हंसी की मदहोश गूंज है,
तभी तो पत्तोकी सरसराहट कुछ कह रही है.
तुजे देखकर आसमां खुल कर खिल रहा है,
तभी तो उसपे बिखरी हुई लालिमा है....

7 comments:

  1. सार्थक प्रस्तुति!

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  2. वर्ड वेरिफिकेशन हटा दीजिये टिप्पणियाँ लिखने में सुविधा rhegi

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  3. फजाओं में तेरी हंसी की मदहोश गूंज है,
    तभी तो पत्तोकी सरसराहट कुछ कह रही है...


    कुछ सुनाई तो दिया है मुझे भी.....

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  4. कल 05/03/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  5. वाह बहुत खूब


    होली की बहुत बहुत शुभकामनएं

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  6. सुन्दर अभिव्यक्ति...
    होली की शुभकामनाए

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