हर लम्हे को जीने के लिए ज़िंदा रहेना पडता है,
समंदर की लहेरें भी किनारे पे आकर मिट जाती है,
पर मिटने से पहेले बहोत कुछ कह जाती है,
अपने को मिटा ने के लिए किनारे तक दौड़ती है,
और मिटने के लिए जी-जान लगा देती है,
उसकी नियति मिटने में है,इसीलिए,
मिटने की ख्वाहिश में जीती है...........अंबर
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