Saturday, December 10, 2011

जीवन की लहेरें

हर लम्हे को जीने के लिए ज़िंदा रहेना पडता है,
मर-मर कर जीने वाले को हर वक्त मरना पड़ता है,
समंदर की लहेरें भी किनारे पे आकर  मिट जाती है,
पर मिटने से पहेले बहोत कुछ कह जाती है,
अपने को मिटा ने के लिए किनारे तक दौड़ती है,
और मिटने के लिए  जी-जान लगा देती है,
उसकी नियति मिटने में है,इसीलिए,
मिटने की ख्वाहिश में जीती है...........अंबर

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