Hindi Poems
Monday, January 23, 2012
सुबह
मांग सजाये,बिंदी लगाए,कजरा सँवारे भोर भई,
पलकें बिछाए,नज़रें उठाये,राह देखें कब रात गई,
रात की नींद को सुबह की गोदमें सुलाने को बेचेन हुई,
पर,हाय रे किस्मत सुरजको भी जल्दी आनेकी तड़प हुई.
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