Hindi Poems
Sunday, January 8, 2012
पलकों का मोसम
मदहोश आँखों ने जब पलकें उठाई,
मोसम पे जैसे बहार आई,
हवाओमें यूँही मदहोशी छाई,
बेवजह सितारे छुपने लगे,
फूलोंकी खुशबु गुनगुनाने लगी,
अब पलकों को ज़ुकाने की जुर्रत न करना,
वरना ........
बिना मोसम पतजड़ आ जायेगी.
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