Friday, January 13, 2012

दस्तक


हमने तो दिलके दरवाजे बंद किये थे,
फिर तुमने क्यूँ दस्तक दी?
क्या तुम नहीं जानते थे कि ,
दरवाजेको जंग लग चुका है,
और चाबी तक खो चुकी है?
फिर उसी को खोलने कि
कोशिश क्यूँ की?
बेशक लकड़ी अभी टूटी नहीं,
पर कबतक चल सकती है?
कुछ तो ख्याल किया होता,
बंद दरवाजेको शायद न धकेला होता .....अंबर

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