मंदिर जाऊं ,मस्जिद जाऊं,जाऊं गंगा घाट,
तनको वहाँ-वहाँ ले जाऊं जहां प्रभु होने की आस,
पूजा कराउं ,पाठ कराउं,और कराउं जाप,
फल धराऊ ,फुल धराऊ,धराउं सारे ठाठ,
खुद को छलकर खुश हो जाऊं,कर लिए सारे काम,
अब कोई पाप कभी ना लागे ,सब धुल गए बार-बार,
आँखें बंधकर सोने जाऊं,नींद ना आये सारी रात,
कभी नींद आये और सपना आये,
नियति पूछे एक सवाल,
सबकुछ किया तनको बहलाने,
मनको ना धोया एक भी बार?
कैसी पूजा,कैसा चढावा जब ,
छल किया अपने साथ?.......अंबर
तनको वहाँ-वहाँ ले जाऊं जहां प्रभु होने की आस,
पूजा कराउं ,पाठ कराउं,और कराउं जाप,
फल धराऊ ,फुल धराऊ,धराउं सारे ठाठ,
खुद को छलकर खुश हो जाऊं,कर लिए सारे काम,
अब कोई पाप कभी ना लागे ,सब धुल गए बार-बार,
आँखें बंधकर सोने जाऊं,नींद ना आये सारी रात,
कभी नींद आये और सपना आये,
नियति पूछे एक सवाल,
सबकुछ किया तनको बहलाने,
मनको ना धोया एक भी बार?
कैसी पूजा,कैसा चढावा जब ,
छल किया अपने साथ?.......अंबर
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