तुजे क्यूँ भुलाना चाहूँ,
जब ,तेरी याद से मेरा दिन उगता है,
मेरे सीनेमें भले ही दर्द उठता है,
आँखें आसमानको यूँही ताकती है,
तुजे क्यूँ भुलाना चाहूँ,
जब तेरा चेहरा मेरे दिलको भाता है,
मेरे चेहरे पे यूँही मुस्कान आ जाती है,
और आंखोंसे सावन सदा बरसता है,
तुजे क्यूँ भुलाना चाहूँ,
तेरे ना होने पर तुजे याद ना करूँ?
मेरे अस्तित्वको बरबाद न करूँ?
तुने ऐसा तो वादा नहीं लिया था!
जब ,तेरी याद से मेरा दिन उगता है,
मेरे सीनेमें भले ही दर्द उठता है,
आँखें आसमानको यूँही ताकती है,
तुजे क्यूँ भुलाना चाहूँ,
जब तेरा चेहरा मेरे दिलको भाता है,
मेरे चेहरे पे यूँही मुस्कान आ जाती है,
और आंखोंसे सावन सदा बरसता है,
तुजे क्यूँ भुलाना चाहूँ,
तेरे ना होने पर तुजे याद ना करूँ?
मेरे अस्तित्वको बरबाद न करूँ?
तुने ऐसा तो वादा नहीं लिया था!
तुजे क्यूँ भुलाना चाहूँ ,
जब यादें ही मेरी जिंदगी है,
अपनेआपको कैसे मिटाऊँ,
शायद तू भी मुजे भूलेसे याद करले!!!!!!अंबर
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