Hindi Poems
Sunday, November 20, 2011
साथ
प्रकृति की इस अदा को जीभर आंखोमें भरके जुमने-गाने का मोसम,
आज तेरा साथ, मेरेसाथ होने पर जीभरके इतराने का मोसम.
चलो प्रिये कुछदेर साथ-साथ चलें,कुचलते पत्तों की आवाज़ को ,
दिलमे भर लें,ऐसा हंसीं वक्त फिर मिले ना मिले......अंबर
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