मेरी साँसों में तेरी याद बनकर महक रही है,
मादक खुशबु की ये घड़ियाँ मुजे बहेका रही है,
किसी रोज हरसिंगार के तले दो आँखे बरसी थी
आज भी उस पल को मन तरस रहा है,
काश जीवन भी हरसिगार के फुल सा होता!
ज़रासी जिंदगी में बहुत कुछ कहे जाता,
तेरे आने पे खिल उठाता,और
जाने पर बिखर जाता,
मगर ऐसा हो न सका,
आज भी सबकुछ वहीँ हें ,
सिर्फ
हरसिंगार की जडे,सूखने लगी हें.
शायद अगले साल
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