Hindi Poems
Saturday, February 18, 2012
मिट्टी के निशाँ
सागरके किनारे भीगी रेतमें,
पांवो के निशाँ गहरे लगे,
आओ प्रिये साथ मिलकर,
इस निशाँ पे पाँव धरे,
ताकि .....
मौजें उसे मिटा ना सके,
जब तक हम रहे,
हमारे निशाँ भी रहे .
1 comment:
avanti singh
March 2, 2012 at 10:59 PM
waah! kya baat hai
Reply
Delete
Replies
Reply
Add comment
Load more...
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
waah! kya baat hai
ReplyDelete