Hindi Poems
Thursday, February 2, 2012
नश्तर
दिलके दरवाजे पे कभी ताला नहीं होता,
जो आना चाहे आये,जाना चाहें जाएँ,
यहाँ किसीके आने पे आवाज़ नहीं होती,
और जाने से खामोशी नहीं रहती ,
एक ऐसा गहरा नश्तर... जो रिसता रहता है,
इस नासूर का कभी कोई इलाज नहीं रहता.
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