Sunday, October 7, 2012


दिल और आँख का रिश्ता ,
कभी समज नहीं आया,
वो आये ,दिल धडका,
और आँखें उठ ही न पाई,
वो चले गए,दिल लडखडाया,
और,आँखें पथरा सी गई,
बेदर्द दिल अपनी ,
हरकतों से न जाने कब,
बाज़ आएगा,
अपनी तकलीफों का ,
पुलिंदा कबतक,
आँखों को पहुंचायेगा,
नादाँ ये भी नहीं सोचता,
दिल ढका हुआ है,
और,
आँखें उजागर,
अब....
कबतक कोई दुनियासे,
नजरें चराएगा.
Photo: दिल और आँख का रिश्ता ,
कभी समज नहीं आया,
वो आये ,दिल धडका,
और आँखें उठ ही न पाई,
वो चले गए,दिल लडखडाया,
और,आँखें पथरा सी गई,
बेदर्द दिल अपनी ,
हरकतों से न जाने कब,
बाज़ आएगा,
अपनी तकलीफों का ,
पुलिंदा कबतक,
आँखों को पहुंचायेगा,
नादाँ ये भी नहीं सोचता,
दिल ढका हुआ है,
और,
आँखें उजागर,
अब....
कबतक कोई दुनियासे,
नजरें चुआयेगा........सुप्रभातम...अंबर

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