Tuesday, October 9, 2012


बात ऐसी तो नहीं चलती की ,
आँखें दरिया बन जाए,
मन ऐसा तो नहीं मचलता की,
जान पे बन आये,
फिर भी,
मौजे उठती हैं,
तूफ़ान लेकर आती है,
कभी न कभी ये तबाही जरुर लाएगी,
ये सोच कर दिल घबराता है.
Photo: बात ऐसी तो नहीं चलती की ,
आँखें दरिया बन जाए,
मन ऐसा तो नहीं मचलता की,
जान पे बन आये,
फिर भी,
मौजे उठती हैं,
तूफ़ान लेकर आती है,
कभी न कभी ये तबाही जरुर लाएगी,
ये सोच कर दिल घबराता है......सुप्रभातम....अंबर

बनते बिगडते घोसलों की तरह,
बिखर रहें हैं ,कुछ बेनाम रिश्ते,
चहकने की जगह चीख रहें हैं,
ये घोसलों में बसनेवाले परिंदे.


जीना है इसी पल को,
जेसा भी है,वो मेरा है,
बिता हुआ कल ,
न फिर लौटेगा,और,
आने वाले का पता नहीं,
कहीं ऐसा न हो,
की खुशियाँ मनाने के ,
इंतजारमें,
हम आज को खो बैठें,
या फिर,जब
कार खरीदी जाए,
तो ब्रेक लगाने के लिए,
पाँव ही न चले
Photo: जीना है इसी पल को,
जेसा भी है,वो मेरा है,
बिता हुआ कल ,
न फिर लौटेगा,और,
आने वाले का पता नहीं,
कहीं ऐसा न हो,
की खुशियाँ मनाने के ,
इंतजारमें,
हम आज को खो बैठें,
या फिर,जब 
कार खरीदी जाए,
तो ब्रेक लगाने के लिए,
पाँव ही न चले........सुप्रभातम....अंबर

जिंदगी बनके तेरी याद ,
आँखों से बहने लगती है,
जब पिघली हुई साँसें,
कांटे सी चुभने लगती है...
Photo: जिंदगी बनके तेरी याद ,
आँखों से बहने लगती है,
जब पिघली हुई साँसें,
कांटे सी चुभने लगती है......सुप्रभातम....अंबर

छुईमुई सी लगती थी,
बड़ी शर्मीली लगती थी,
मेरी कुछ नादाँ ख्वाहिशें,
बड़ी ही जानलेवा लगती थी,
आज ....
उन्ही ख्वाहिशों को ,
याद करते हुए,
मैं खुद ही,
छुईमुई बन जाती हूँ,
वक्त के चलते ,
इच्छाएं भी
नया रूप धर लेती है,
और इसी दायरेमें ,
सिमट कर हम भी,
जीये जाते हैं.....
Photo: छुईमुई सी लगती थी,
बड़ी शर्मीली लगती थी,
मेरी कुछ नादाँ ख्वाहिशें,
बड़ी ही जानलेवा लगती थी,
आज ....
उन्ही ख्वाहिशों को ,
याद करते हुए,
मैं खुद ही, 
छुईमुई बन जाती हूँ,
वक्त के चलते ,
इच्छाएं भी 
नया रूप धर लेती है,
और इसी दायरेमें ,
सिमट कर हम भी,
जीये जाते हैं.........सुप्रभातम...अंबर

सडकों पे गुनगुनाता पानी,
अपनी मस्तीमें बह रहा है,
कुछ इसे नजरअंदाज कर रहे हैं,
कुछ इसपे गुस्सा हो रहे हैं,
और,
कुछ लोग इसकी मस्तीमें ,
खुद को भिगो रहें हैं,
सबका अपना नजरिया है,
चाहें खुश हो ले,
चाहें गमगीन ,
इसने तो बहना है,.
Photo: सडकों पे गुनगुनाता पानी,
अपनी मस्तीमें बह रहा है,
कुछ इसे नजरअंदाज कर रहे हैं,
कुछ इसपे गुस्सा हो रहे हैं,
और,
कुछ लोग इसकी मस्तीमें ,
खुद को भिगो रहें हैं,
सबका अपना नजरिया है,
चाहें खुश हो ले,
चाहें गमगीन ,
इसने तो बहना है,......सुप्रभातम....अंबर

गुज़रती जा रही है,
लौट कर ...
कभी न आने वाले पलों में,
जिंदगी......
हाथ से निकलती जा रही है,
एक-एक पल बनकर,
अजनबी........
फिर कभी इस पल को ,
इस जीवनमें न जी पाउंगी,
यही सोच कर सहम रही है ,
बेबसी........
Photo: गुज़रती जा रही है,
लौट कर ...
कभी न आने वाले पलों में,
जिंदगी......
हाथ से निकलती जा रही है,
एक-एक पल बनकर,
अजनबी........
फिर कभी इस पल को ,
इस जीवनमें न जी पाउंगी,
यही सोच कर सहम रही है ,
बेबसी........सुप्रभातम....अंबर