Hindi Poems
Saturday, April 28, 2012
जलन
रोज निकलता सिंदूरी सूरज,
कभी थकता भी होगा,
उसके भी सीने में ,
किसी याद का कोयला ,
दहकता तो होगा,
राख बनकर आसमां के सीने पे,
बिखरता तो होगा,
तभी तो रोज ,
नए रंग बिखेरता होगा.
1 comment:
ANULATA RAJ NAIR
June 10, 2012 at 11:30 PM
बहुत खूबसूरत .....
वाह!!!!
अनु
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बहुत खूबसूरत .....
ReplyDeleteवाह!!!!
अनु