Saturday, April 28, 2012
Saturday, April 7, 2012
स्वयंसिद्धा
स्वप्नद्रष्टा नहीं ,मैं स्वयंसिद्धा हूँ,
सच के लिए लडना मेरी फितरत है,
और, जूठ से है असीम नफ़रत
अच्छा लगना मेरी ख्वाहिश नहीं है,
मन पर बोज न हो यही कोशिश है,
अपने विचारों कि साम्राग्नी हूँ,
किसीके रहमोंकरम् कि मोहताज़ नहीं हूँ,
आत्म द्रष्टा हूँ,आत्म गर्विता हूँ,
जो भी हूँ बस, तुम्हारी हूँ...
Thursday, April 5, 2012
अहेसास
ज़रा सी हवा ने क्या छू लिया,
तेरे करीब होने का अहसास पाया,
आँखें मूंदे नरम हवाओं में,
बाहें फैलाने का मन कर आया,
फूलों कि खुशबु सांसों में उलजी,
और, मैने सोचा तू करीब आया,
पलकें हवाओं में बोजिल हुई,
तेरी साँसों को अपने नजदीक पाया,
अब न खोलूंगी आंखें,
ये अहसास में मैने..........
जीवन जो पाया...........
तेरे करीब होने का अहसास पाया,
आँखें मूंदे नरम हवाओं में,
बाहें फैलाने का मन कर आया,
फूलों कि खुशबु सांसों में उलजी,
और, मैने सोचा तू करीब आया,
पलकें हवाओं में बोजिल हुई,
तेरी साँसों को अपने नजदीक पाया,
अब न खोलूंगी आंखें,
ये अहसास में मैने..........
जीवन जो पाया...........
Tuesday, April 3, 2012
एक अनार और हज़ार बीमार ,
एक छुट्टी और हज़ार काम,
बढ़िया खाना मिलेगा,
पतिदेव सोचे आज छुट्टी ,
साथ बैठने का मौक़ा मिलेगा,
काम वाले सोचे आज छुट्टी,
आज हमें आराम मिलेगा,
मम्मा सोचे आज छुट्टी,
आज बातें करने का का वक्त मिलेगा,
महेमान सोचे आज छुट्टी,
आज तो मिलने जाना हि पडेगा,
घर सोचे आज छुट्टी ,
आज तो सफाई होकर हि रहेगी,
और,
मैं सोचूं आज छुट्टी ,
सबको खुश रखूं या मैं खुश रहूँ?
फिर सोचूं
यही तो है मेरी खुशी ...
एक अनार के दाने सबमें बांटूगी.
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